Kuch Roj Jag Men Jina ( कुछ रोज जग में जीना )



कुछ रोज जग में जीना, दस्तूर ये पुराना।
दुनियाँ सराय बन्दे, आना किसी का जाना।

कायम कोई रहा क्या, देखा किसी ने पहले।
आंखों के सामने भी , कितने हुये रवाना।
दुनियाँ सराय बन्दे, आना किसी का जाना।।
कुछ रोज जग में जीना......

कहीं दिल लगा न देना, मिथ्या है रंग रचना।
इसमे उलझ गया जो, नही ठौर ना ठिकाना।
दुनियाँ सराय बन्दे, आना किसी का जाना।
कुछ रोज जग में जीना ।


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