मां शारदे..... मां शारदे.....
हे स्वर की देवी मां, वाणी में मधुरता दो
मैं गीत सुनाता हूँ, संगीत की शिक्षा दो।। हे स्वर....
सरगम का ज्ञान नही, ना लय ना ठिकाना है।
तुम्हे आज सभा मे मां , हमे दर्श दिखाना है।
संगीत समंदर से, सुर ताल हमे देदो। हे स्वर की ....
शक्ति ना भक्ति है, सेवा का ज्ञान नही ।
तुम्हे आज सुनाने को, कोई सुंदर गान नही ।
गीतों के खजाने से, इक गीत मुझे देदो। हे स्वर की....
अज्ञान ग्रहसित होकर क्या गीत सुनाऊं में ।
टूटे हुये शब्दों से क्या स्वर को सजाऊँ मैं ।
तुम ज्ञान का स्रोत बहा , मां मुझपे दया करदो। हे स्वर की....
------ निरंजन सारड़ा ------ 9341224191
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